सूरज की ज़िंदगी में हर तरफ एक ही नाम गूंज रहा था—अनामिका। उसकी कविताओं ने न सिर्फ सूरज के दिल को छुआ था, बल्कि उसकी सोच और ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी थीं। सूरज के लिए अनामिका सिर्फ एक लेखिका नहीं, बल्कि एक ऐसा अहसास थी जिसने उसकी खाली और बेजान दुनिया में रोशनी भर दी थी।हर सुबह सूरज अनामिका की कविताएं पढ़कर शुरुआत करता और रात को उन्हीं शब्दों में खोकर सो जाता। ऐसा लगता था कि उसकी कविताओं ने सूरज के भीतर एक नया जीवन भर दिया है।"तेरे लफ्ज़ों में जो बात है, वो किसी सितारे में नहीं,तेरी