खामोश चाहतें - पार्ट 3

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रात का सन्नाटा हमेशा एक अजीब सा सुकून लेकर आता है। जैसे पूरी दुनिया ठहर गई हो, और सिर्फ दिल की आवाज़ें बची हों। उन्हीं आवाज़ों में कहीं एक सवाल गूंजता है – मेरा मन क्यूँ तुम्हें चाहता है? इसका जवाब आज तक मैं ढूँढ़ नहीं पाई हूँ। पर एक बात पक्की है – ये चाहतें सिर्फ मेरी हैं। खामोश, मगर दिल से निकली हुईं।पहली बार जब मैंने तुम्हें देखा था, तो कुछ अजीब सा महसूस हुआ था। वो दिन अब भी याद है, जैसे कल की ही बात हो। तुम अपने काम में व्यस्त थे, और मैं बस तुम्हें