अपराध ही अपराध - भाग 55

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अध्याय 55 उत्तुकोत्तई आंध्र बॉर्डर में बहुत सारी शराब की दुकानें थी। दुकानों पर बहुत सुंदर लाइटें लगा कर सजाया हुआ था। सब दुकानों पर जो बोर्ड लगा हुआ था वह देखने लायक था। उसके किनारे आकर एक कार खड़ी हुई।  कार के अंदर विवेक ने है अपने आप को दाढ़ी मूंछें लगाकर भेष बदला हुआ था। उसी ने गाड़ी को चलाकर लेकर आया था। कार के अंदर बैठे हुए ही उसने संतोष से बात करनी चाही। इस समय पेरियापल्लयम को पार कर उनकी गाड़ी आ रही थी। विवेक को संदेह होने की वजह से वह गलती से छूट न