अपराध ही अपराध - भाग 52

  • 1.6k
  • 777

अध्याय 52   “इन्होंने कोई गलती नहीं की है सर…इन्हें भी कैद करेंगे तो कैसा होगा सर?” बीच में कुमार बोला। “जैसे अप्पा की संपत्ति में बेटे को भी हिस्सा होता है वैसे ही उनके अपराध में भी होता है। अपने अप्पा के लिए बेटा भी अपराध में लिप्त सकता है ना?” “सर इतने दिनों यह उनके साथ ही नहीं थे। इन्हें हम बहुत मुश्किल से ढूंढ कर लेकर आए हैं। मिस्टर कृष्णराज अपने बेटे को ही अभी देखा है। यही सत्य है” काफी दबाव डालकर धना बोला। इसे सुनकर बड़ी जोर से वे हंसे। “क्यों आप हंस रहे हैं?”