अपराध ही अपराध - भाग 50

  • 1.5k
  • 763

अध्याय 50   “हां आपका नाम क्या है बताया?” “धनंजयन, संतोष।” “संतोष…सर कहकर आदर के साथ बुलाओ। हां आप तो मेरे पापा के सेक्रेटरी हो ना?” उसके बोलने का ढंग और तरीका बड़ा ही विचित्र था।  “यस सर।” “मेरी एक छोटी बहन है आपने बताया था?” “हां सर” “उसकी मां है क्या ? या उसे भी मेर पिताजी ने मार कर भगा दिया?” “वह सब कुछ नहीं है सर। वह हार्ट अटैक से मर गईं थीं ऐसे सर ने बताया था।” “जाने दो ऐसा एहसान कर ही अभी मैं आ रहा हूं। सचमुच में आने की मेरी बिल्कुल रुचि नहीं