अपराध ही अपराध - भाग 12

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अध्याय 12   कार्तिका के प्रश्न, पर पहाड़ी रास्ते में पेड़ के छाया के नीचे गाड़ी को उसने खड़ी करके उसे आंखें फाड़ कर देखा धना। “क्या बात है धना…. विवेक से ज्यादा मैं तुम्हें सदमा दे रही हूं…सदमा तो होगा। आगे आगे जब मैं बोलूंगी उन सब को सुनकर, मुझे छोड़ दीजिए ऐसा भी तुम बोल सकते हो।” “बस करो मैडम…. रहस्यमय ढंग से आप बोले तो मैं नहीं समझ सकता। कृपया साफ-साफ बात कीजिएगा” कहते ही गाड़ी से नीचे उतर गई कार्तिका। पास में एक बस ठंडी हवा छोड़कर, उसके आगे से निकल गई। वह भी उतर गया।