पिता : मेरे सच्चे दोस्त

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आज की रात मैं,फिर से बहुत रोया हूं ।उस दिन को याद कर, अंदर से मैं टूटा हूं ।वो तुम्हारा प्यार मेरे लिए, कि लड़ जाते थे दुनिया से ।जब डांटे माता श्री मुझे तो,बीच में आकर उनसे बचाते थे ।पैसे ना हों जेब में तुम्हारे फिर भी,पेट हमारा भर जाता था ।तुम वो दोस्त थे मेरे जो मुझे, हर मुसीबत से बचाता था ।याद आते हैं वो बचपन के दिन जब,कंधे पर बैठ तुम्हारे देखा था जहां ।याद आती है गोद तुम्हारी,बैठ कर मैं सबको भूल जाता था जहां ।मुस्कान तुम्हारी है इतनी प्यारी, जो देख ले मंत्रमुग्ध हो जाए ।तुम्हारे हास्य में