88=== कितनी तलाश की मनु ने आशी की लेकिन उसे नहीं मिलना था, नहीं मिली ! मनु और अनन्या का मन काँपकर रह जाता| जो भी हो उन दोनों का रिश्ता अभी अधर में लटका हुआ था| आखिर समाज में उस रिश्ते की क्या अहमियत थी? अनन्या की मम्मी को मनु ने ज़बरदस्ती अपने पास ही रख लिया था, वे बेचारी स्वाभाविक रूप से अपनी बेटी के अधर में लटके हुए जीवन के सही ‘स्टेट्स’ के लिए चिंतित रहतीं| एक बार आशी मनु को मुक्ति दे दे या जो कुछ भी निर्णय लेना हो ले ले| इस प्रकार त्रिशंकु की