शून्य से शून्य तक - भाग 83

83===== होनी को आज तक किसने टाला है? अनन्या को उसके कमरे में लाया गया| वह जैसे शून्य हो चुकी थी| उसका और उसका ही क्या सबका संबल, ऊर्जा, आस-विश्वास थे दीनानाथ जी! न जाने कितने लोगों को उन्होंने अपनी छत्रछाया के तले समेटा हुआ था| इसीलिए उनके घर और परिवार को संभालने वाला प्रत्येक कर्मचारी उनके अपने परिवार का सदस्य था जो उनके सुख-दुख में सदा शामिल था|  परिवार में दो लोगों से इतने लोगों का सदस्य बन जाना, दीना जी के व्यवहार का ही परिणाम था| सबके मन में प्रश्न घूम रहा था---अब? प्रश्न कठिन था और सबके