शून्य से शून्य तक - भाग 82

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82=== अगले दिन अस्पताल की फॉर्र्मेलिटीज़ पूरी करते-करते और घर पहुँचते लगभग बारह बज गए थे| आशिमा बहन के साथ जाकर बच्चे की ज़रूरत का कुछ सामान, झूला आदि ले आई थी और दोनों बहनों ने मिलकर बुझे हुए मन से अनन्या के कमरे को कुछ सजाने की कोशिश की थी| यह सब करने के लिए उसकी सास यानि अनिकेत की मम्मी ने समझाया था| परिवार के सर्वस्व का इस प्रकार जाना बहुत ही पीड़ादायक था लेकिन परिवार में एक नए जीव का आगमन भी तो उल्लसित होने का एक बड़ा कारण था|  मन के कोनों में जब अँधेरा भरा