औरों में कहाँ दम था - फिल्म रिव्यू

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नीरज पाण्डे, नाम सुनते ही स्पेशल 26, special ops, ए वेडनेसडे जैसी फ़िल्में या सीरीज याद आती है। फिर ‘जब औरों में कहाँ दम था’ का ट्रेलर देखा तो लगा कि ऊपर से लव स्टोरी लगने वाली कहानी ग़ज़ब थ्रिलर होगी, ट्विस्ट होंगे। मज़ा आएगा। और क्या ही ट्विस्ट है यार! कृष्णा और वसुधा प्रेमी प्रेमिका हैं। कृष्णा आज साढ़े 22 साल बाद डबल मर्डर केस में जेल से छूट रहा है। पर वह अभी बाहर निकलना नहीं चाहता, जेल में एक को पीट देता है, सोलिटरी कन्फाइनमेंट में भेजा जाता है। जेल में उसके लिए फ़ोन अरेंज होता है,