सूनी हवेली - भाग - 18

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हवेली से जाते समय दिग्विजय को अनन्या की चीखें सुनाई दे रही थीं लेकिन उसकी चीखों को सुनकर उसे ज़रा भी दुख नहीं हुआ बल्कि एक प्रकार की ख़ुशी का एहसास हो रहा था। उधर अनन्या का शरीर जलता जा रहा था परंतु उसकी मदद करने वाला वहाँ कोई भी ना था। वह चीखती रही, मदद के लिए गुहार लगाती रही परंतु उसकी चीखें केवल दिग्विजय को ही सुनाई दे रही थीं। उधर वीर, रेवती और घनश्याम साथ में बैठकर बात कर रहे थे। वह बार-बार अनन्या को फ़ोन लगा रहे थे लेकिन उसका मोबाइल स्विच ऑफ ही आ रहा