सूनी हवेली - भाग - 14

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हवेली छोड़ कर जाने से पहले यशोधरा एक बार फिर से दिग्विजय के कमरे में आई और उससे कहा, "दिग्विजय जी अब चाहे जो भी हो मुझे कभी भी वापस बुलाने या फिर ढूँढने की कोशिश मत करना। तुम्हारे लिए तो मैं और मेरे तीनों बच्चे मर चुके हैं और यह कभी भी मत भूलना कि जवानी किसी की भी रुकती नहीं। सुंदरता तो केवल क्षण मात्र की साथी होती है। असली साथ होता है विश्वास का, कर्तव्य का और सच्चे निःस्वार्थ प्यार का। देखना तुम्हें इनमें से क्या-क्या हासिल होता है?" दिग्विजय चुपचाप खड़ा रहा। यशोधरा अपनी आंखों से