अजीब-सी शुरुआत - भाग 4

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अध्याय 4: अंतिम अनुष्ठान**राजवीर का दिल तेजी से धड़क रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि अचानक क्या हो गया। ताबीज की शक्ति ने पूरे कक्ष को अपनी गिरफ्त में ले लिया था, और पुजारी के मंत्र भी अब उसकी शक्ति को नियंत्रित करने में नाकाम हो रहे थे। कक्ष में अंधकार इतना घना हो गया था कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। तभी, राजवीर ने महसूस किया कि उसके आसपास कोई अदृश्य उपस्थिति है। यह उपस्थिति पहले की तरह केवल हवा में घुली हुई नहीं थी, बल्कि अब वह महसूस कर सकता था कि वह उसके