एक एहसास

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(१) मेरी हरकतें   कभी कभी बस यूँही,महसूस करती हूँ तुझे।  अपने बालों को,धीरे से हटाकर शरमा जाती हूँ।।  अपनी आँखों को,आईने में देखकर पलकें झपकाती हूँ। फ़िर एक प्यारी-सी मुस्कान के साथ,ख़ुद को पागल कहती हूँ।। तुझे याद करके,बेवजह मुस्कुराने लगती हूँ।  कभी-कभी कुछ बातें,बेफ़िज़ूल ही करती रहती हूँ।।  गाने सुनकर,तुझे अपने पास होने का एहसास पाती हूँ।  इस तरह तुझे पाकर मैं,ख़ुशी से झूम जाती हूँ।।  कभी हवाओं में अचानक,तुम्हारी याद शामिल होती है।  इसलिए थोड़ा रुककर मैं,उन हवाओं से बात करती हूँ।।  क्या पता वो हवाएँ,तेरे पास जाकर रुक जाएं।  तू उन्हें पहचान कर,मेरी कही बातों को