80=== बड़ा कठिन दिन था| पूरा वातावरण बोझिल, तैरता हुआ सन्नाटा और बेबसी का माहौल !घर में अनिकेत की मम्मी, महाराज की पत्नी, छोटे रघु की माँ के साथ वहाँ के स्टाफ़ की पत्नियाँ भी पहुँच गईं थीं| सब थे लेकिन जैसे उदासी की चुप्पी ने पूरे घर को काले आवरण में समेट लिया था| अनिकेत की मम्मी ने घर के स्टाफ़ के साथ मिलकर जो उनकी समझ में आया, वह सब किया| आशिमा, रेशमा को संभाला| कई बार आशी के कमरे को भी खटखटाया लेकिन व्यर्थ ही रहा| आशी के कमरे में से कोई आवाज़ नहीं आ