79=== आज, ऐसे समय में मनु को आशी का व्यवहार अपने ऊपर मनु को बेइज़्ज़ती से भी अधिक एक प्रहार सा लगा| ये वही आशी है जिसने उससे ऐसे वायदे लिए थे| यहाँ तक कि अपने पिता की बेइज्ज़ती और पीड़ा भी उसके लिए कोई मायने नहीं रखती थी| “यह क्या कर रही हो आशी ?यूमहारी शर्तों पर ही तो चल रहा हूँ---”वह ज़िंदगी भर गिड़गिड़ाता ही रहेगा क्या?उसका सिर घूम रहा था और बेबसी की हालत में आँखों में आँसु सिमट आए थे| “आई नो नथिंग मनु , एंड डोंट वॉन्ट टू नों इवन, आई नीड यू---”कहते हुए