पुस्तक समीक्षा - तुम बिन सूना मधुमास

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पिछले दिनों युवा कवयित्री सुमन लता जी का काव्य संग्रह 'तुम बिन सूना मधुमास' प्राप्त हुआ। स्वास्थ्य कारणों से चाहकर भी अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाया। अब आज जब लिखने की कोशिश कर रहा हूंँ तब सबसे सुखद तो यह महसूस हो रहा है कि विशुद्ध घरेलू महिला में अपनी अभिव्यक्ति का कितना जूनून है। हम सभी जानते हैं कि एक महिला को अपनी रोजमर्रा की जिम्मेदारियों के साथ अपने भीतर की छिपी प्रतिभा को साकार करने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है।यह अलग बात है कि पति, पिता और परिवार का साथ, संबल मिले तो राहें थोड़ी