58=== आशिमा के सामने ही शादी का दिन तय हो गया| आशिमा को यहाँ कई दिन हो चुके थे| मि.भट्टाचार्य ने दीनानाथ जी से बात करके अनिकेत को भेजकर आशिमा को बुलाने की बात की| उन्होंने प्रसन्नता से हाँ कर दी| आशी की शादी में भी तो आएगी वह| अब कुछ दिन अपनी ससुराल रह आए| रेशमा दीदी के जाने की बात सुनकर ही उदास हो गई लेकिन उसे जाना तो था ही| वह अनिकेत के साथ चली गई| एक बार फिर रेशमा बहन के गले लगकर ज़ोर से रो पड़ी| आशिमा का दिल भी उसे छोड़ते हुए टूट रहा