55=== जब ये लोग घर पहुँचे लगभग आठ बज गए थे| घर का सारा ‘हैल्पस्टाफ़’ आशिमा को देखकर खुश हो गया| दीना जी ने पहले से ही महाराज से कह दिया था कि आशिमा बिटिया की पसंद के व्यंजन ज़रूर बनाएं| आशिमा ने अपना वह बैग जिसमें सबके लिए गिफ्ट्स लाई थी, वह दीना अंकल के कमरे में रखवाया था| रेशमा उससे बातें कुरेद कुरेदकर पूछने की कोशिश कर रही थी| जितना आशिमा बता सकती थी, उसने बताया आखिर वह आशिमा की छोटी बहन थी, सहेली जैसी थी लेकिन सहेली नहीं थी| “खोल दे न दीदी---”रेशमा ने बचपने से कहा