शून्य से शून्य तक - भाग 54

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54==== आशी ने सुदूर पर्वतों के नीचे छिपने की हरकत करते हुए सूर्य को देखा| उसे लगा कि वह पर्वत श्रंखला से छुपम-छुपाई खेल रहा है| कभी ऊँचे पर्वत की पीछे दिखाई दे रहा है तो कभी छोटी पहाड़ी के पीछे से झाँकने लगता है जैसे उसे कोई पकड़ने की कोशिश कर रहा हो लेकिन अंत में वह अस्ताचल में स्वयं को छिपा लेता है प्रात:उदय होने के समय भी वह ऐसी ही शैतानियाँ करता दिखाई देता है | उस समय मानो सोकर उठा हुआ ऐसा बच्चा लगता है जिसके चेहरे पर मुस्कान खिली रहे जो सबको ऊर्जा से भर