सदफ़िया मंज़िल - भाग 3

  • 1.2k
  • 378

भाग -3 हँसली ने यह कहते हुए दूर से ही ज़किया की बलाएँ लेते हुए अपने दोनों हाथों की उँगलियों को कानों के पास ले जाकर हल्के से दबा दिया। जिससे एक साथ कई पट्ट-पट्ट आवाज़ हुई।  तभी रफ़िया कुछ सोचती हुई बोली, “मसालेदार क्या, आदमी ख़ाली बैठा रहेगा तो दुनिया भर की बातें तो ज़ेहन में घूमेंगी ही, जब-तक कस्टमर आ रहे थे, तब-तक सब पर यहाँ बैठी निगाह रखती रहीं। मगर अब कुछ नहीं तो जब देखो तब, कोरोना, स्पेनिस फ़्लू, प्लेग, यह, वह। और एक यह है, जबसे हर तरफ़ कोरोना-कोरोना हुआ है, मोबाइल में देख-देख कर