यादों की अशर्फियाँ - 11. कम्प्यूटर लैब की धमाल.

  • 1.5k
  • 537

11. कम्प्यूटर लैब की धमाल धीरे धीरे सूर्य की गरमी कम होती गई जेसे ही शरदी की मौसम ने दस्तखे़ थी। हमारी मस्तियां भी कुछ ऐसी ही थी जो शर्दी के साथ बढ़ती चली गई। बारिश और गर्मी के दिनों में यह इतनी नही बढ़ी जितनी ठंडी में क्योंकि इन दिनों मेरे मुताबिक टीचर्स का दिमाग ठंडी की तरह ठंडा रहता है, गरम नही। ठंडी के उन दिनों में भी हम क्लास में सिकुड़ कर बैठना नही चाहते थे। जेसे मौका मिलता है की बहार निकलने की कोशिश शुरू। उसमे भी अगर कोई ऐसा टीचर हो जो हमारी फितरत नहीं