उत्कर्ष-अभिलाषा - भाग 1

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इंसान या यूँ कहिये इस ब्रह्मांड का कोई भी जीव चाहे लाख कोशिश क्यों ना कर ले, प्रकृति ने, ईश्वरीय सत्ता ने उसके भाग्य में जो लिख दिया है, उसकी हथेली की रेखाओं में जो दायित्व उसे सौंप दिया है, उसे पूरा करने के रास्ते पर चलने से वो स्वयं को नहीं रोक सकता है।कुछ इसी तरह अभी-अभी अपना इक्कीसवां जन्मदिन मना चुका वो नवयुवक जिसके चेहरे पर सदा ही देवताओं सा आलौकिक तेज़ नज़र आता था, जो अपने दिव्यत्व से सहज ही किसी का भी मन मोह लेता था, राज्य के सबसे अमीर परिवार का इकलौता बेटा जिसे उसके