यादों की अशर्फियाँ - 5. पीरियड्स से पढ़ाई तक-2

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 पीरियड्स से पढ़ाई तक - 2         रिसेस का घंट बजाता की हम सब क्लासरूम की और धीरे धीरे चलते। बचपन में प्राईमरी में सब या तो लाईन में या तो दौड़ कर जाते थे। मगर अभी जैसे पढ़ाई से कोई नाता ही न हो ऐसे जा रहे थे हम।     पर जैसे ही क्लास में पहुंचते फिर से धींगामस्ती शुरू फिर भी सभी टीचर्स 9th को अच्छी क्लास कहते थे चाहे कोई भी बेच हो। अब पीरियड था ऐसे टीचर का को स्टूडेंट के प्रश्न से ही बेहाल हो गए थे। नीरज सर जो सामाजिक विज्ञान लेते थे।