प्रारब्ध का सत्य

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होनी एव संयोग एक दूसरे के सहोदर है जो प्रारब्ध कि प्रेरणा है लेकिन इन तीनो को कर्म ज्ञान और सत्य से परिवर्तित किया जा सकता है।प्रस्तुत कहानी में सुभद्रा से अजुर्न को किसी संतान का योग नही था मामा भगवान श्री कृष्ण स्वंय इंद्र का स्वरूप 16 वर्षो के लिए मांग कर लाएं थे जो अभिमन्यु था ।सत्यता यह थी कि महाविनाशकारी महाभारत होना था जिसमे हुए युद्ध हत्याओं के अपराध को भी पांडव पक्ष को भोगना था जो पांडवों का प्रारब्ध था और उनके विजय के बाद भी स्थायी धर्म सत्ता स्थापना के मार्ग में बाधा थी क्योकि