निश्छल आत्मीयता - संस्मरण

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7 अप्रैल 2024 को गोरखपुर एक साहित्यिक आयोजन में आमंत्रित किया गया था। स्वास्थ्य को लेकर बहुत आश्वस्त तो नहीं था। लेकिन माँ शारदे की ऐसी कृपा हुई कि उक्त तिथि से कूछ दिन पूर्व मैं अपने एक अग्रज सरीखे कवि मित्र (जिन्हें पहली बार मेरे माध्यम से मंच पर काव्य पाठ का अवसर मिला था, उसके बाद गोरखपुर के हर उस साहित्यिक आयोजन में शामिल होकर काव्य पाठ किया, जिसमें मैं भी पहुंच सका ) को अपने आगमन की संभावित सूचना देकर उक्त कार्यक्रम में आकर मिलने और आयोजन में शामिल होने का आग्रह किया। फिर तो जो कुछ