किस्से वीर बुन्देलों के - राज धर्म - 3

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*महाराजा वीरसिंह जू देव आख्यान-1**राजधर्म*(बुंदेलखण्ड के ओरछा राज्य की एक ऐतिहासिक घटना पर आधारित)*चैप्टर-2, "शिकार" ।*--------------------------------*भुवन भास्कर*, अस्तांचलगामी होकर मंद हो चले थे। अरुणाभ क्षितिज की मनोहारी छटा दर्शनीय थी। तुंगारण्य महावन की सघन वृक्षावली के शीर्ष पर विंध्यश्रेणी श्रृंखला के, दो अन्यतम शिखरों के मध्य, शनैःशनैः गगन से धरा की ओर झुकते रवि की सुनहरी रस्मियाँ, समूचे नभ मंडल पर, एक अलौकिक 'जाल' सा निर्मित कर रही थीं। मानो तिमिर से संसार को सुरक्षित रखने के लिए, कोई कवच छत्र, एक निशा अवधि के लिए स्थापित हो रहा हो। दिवस अवसान समीप जानकर, अपनी पाल में लौट आए वन्य