सुनसान रात - 3

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ऐसे ही चलते चलते हम काफी दूर आ चुके थे, लगभग 4, 5 किलोमीटर धक्का लगाने के बाद हम तीनों थक चुके थे, हमने सोचा गाड़ी में बैठकर आराम करते है, और तीनों गाड़ी में बैठ गए, ठंड बहुत थी पूरी गाड़ी बन्द करने के बाद भी कँपकँपी नहींं रुक रही थी। तभी हरीश बोला चलो बाहर अलाव जलाकर आग सेंकते है, ऐसे तो गाड़ी में कुल्फी जम जाएगी हमारी, रात काफी हो चुकी थी करीब 12 से 1 बजे के बीच का वक्त रहा होगाहम गाड़ी से बाहर निकले सड़क से नीचे उतर कर एक कोने में जगह ढूंढ़ी