पर-कटी पाखी - 4. नया ठिकाना.

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4. नया ठिकाना. -आनन्द विश्वास आज स्कूल में भी सारे दिन उदास ही रही पाखी। शायद उसे अपनी कम और अपनी *पर-कटी* की चिन्ता कुछ ज्यादा ही सता रही थी। उसे रह-रह कर यही ख्याल आ रहा था कि वह किस प्रकार से, और कैसे कर सकेगी अपनी *पर-कटी चिड़िया* की उचित सुरक्षा-व्यवस्था। उसने अपने प्रिलिम-ऐग्ज़ामस् तो दिये, पर बे-मन और बिना पढ़े ही। रात भर तो बीता था उसका जागते ही जागते अस्पताल में अपनी *पर-कटी चिड़िया* की देख-भाल में और रिसेस में भी उसका नाश्ता करने का मन ही नहीं हुआ। भूख न लगने का कारण भी समझा