माफी - भाग 1

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दीवार घड़ी पर नजर पड़ते ही रामदयाल जी सोफे से उठ कर खड़े हो गए।,, क्या हुआ,,। पत्नी ने पुछा,, अरे कुछ नहीं हुआ, रात के बारह बज रहे हैं, सोना भी तो है,,। रामदयाल जी ने कहा,, सच कह रहे हो, जब से सुधा अपनी ससुराल गई है, तब से उसे याद करते करते कब बारह बज जाते हैं, पता ही नहीं लगता, आप चलो मैं अभी आती हूं मैन गेट बंद करके,,। घुटने पर हाथ रखकर पत्नी गायत्री देवी ने उठने की कोशिश की।,, ठीक है, टीवी भी बंद कर देना,,।,, ट्रिन ट्रिन ट्रिन,,। लैंड लाईन फोन की