कुन्ती

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महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। वे वसुदेव की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ थीं। महाराज कुन्तिभोज से इनके पिता की मित्रता थी। कुन्तीभोज की कोई सन्तान नहीं थी, अत: ये कुन्तिभोज के यहाँ गोद आयीं और उन्हीं की पुत्री होने के कारण इनका नाम कुन्ती पड़ा। महाराज पाण्डु के साथ कुन्ती का विवाह हुआ। किन्दम ऋषि की हत्या के कारण पाण्डु ने राजपाट छोड़कर वन में निवास किया। वन में ही कुन्ती को धर्म, इन्द्र, पवन के अंश से युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम आदि पुत्रों की उत्पत्ति हुई। पांडु की दूसरी रानी माद्री से अश्वनीकुमारों के अंश