आँच - 1- अथ जिज्ञासा !

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आँच अठारह सौ सत्तावन के संघर्ष की पृष्ठभूमि को उकेरता उपन्यास यह उपन्यास ? इक्कीसवीं सदीं का दूसरा दशक। उदारीकरण के बढ़ते क़दम। भारतीय ही नहीं सम्पूर्ण एशियाई बाज़ारों को आच्छादित करने की पूरी कोशिश। खुदरा बाज़ार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए खोलने का दबाव। भारत की केन्द्रीय सरकार असमंजस में। अमीरी और गरीबी की बढ़ती खाई। आर्थिक विकास दर का बढ़ाव रुका। विकास के पाश्चात्य माडल पर प्रश्न उठे। गठबन्धन सरकारें अपने को बचाने में ही व्यस्त, कड़े फैसले लेने में असमर्थ। ‘माल’ उच्च और मध्यमवर्ग को अपने कब्जे़ में करते हुए। अलग अलग वर्गों के लिए अलग अलग बाज़ारें।