संत श्रीपीपा

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भक्तवर श्री पीपा जी पहले भवानी देवी के भक्त थे। मुक्ति माँगने के लिये आपने देवी का ध्यान किया, देवी ने प्रत्यक्ष दर्शन देकर सत्य बात कही कि मुक्ति देने की शक्ति मुझमें नहीं है, वह शक्ति तो भगवान्में है। उनकी शरण में जाना ही सुदृढ़ साधन है। देवीजी के उपदेशानुसार आचार्य श्री रामानन्दजी के चरणकमलों का आश्रय पाकर श्री पीपा जी अतिभक्ति की अन्तिम सीमा हुए। गुरुकृपा एवं अतिभक्ति के प्रभाव से आपमें असंख्य-अमूल्य सद्गुण थे, उन्हें सन्तजन सदा गाते रहते हैं। भक्त, भक्ति, भगवन्त और गुरुदेव की आपने ऐसी आराधना की कि उसका स्पर्श करके अर्थात् देख-सुन और