मैं तो ओढ चुनरिया - 48

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मैं तो ोढ चुनरिया    48   माँ और मामी दोनों अपने अपने अहं में मस्त थी या शायद दोनों सामने वाले की नाराजगी और गुस्से से डरती थी । अगर उन्होंने बात की तो सामने वाला पता नहीं किस तरह से प्रतिक्रिया दे । मजा यह दोनों ही बात करना चाहती थी पर शुरु कौन करे । इसी चक्कर में चार साल बीत गये । इस बीच बहुत कुछ बीत गया । नानी का घर तीन हिस्से हो गया । छोटे दोनों मामाओं ने अपने हिस्से बेच कर जवाहर पार्क में बेहटरोड पर दो सौ गज में बङा सा मकान