दान का अर्थ है – ‘देने की क्रिया’।सुधिजनो, दान की, और दानी की महिमा बड़ी है। महाभारत के कर्ण, दानवीर के रूप में ख्यात हैं। तो आज हम सुधिजन, दान के महात्म्य, उसके प्रकार, और दानियों की शास्त्रीय अर्थों में गवेषणा करेंगे।●●सुधिजनो!!शास्त्रों में 5 प्रकार के दान का वर्णन है। ये हैं- विद्या, भूमि, कन्या, गौ, तथा अन्नदान।आधुनिक युग मे शेयर्स, कैश औऱ यौवन का दान भी, गुणकारी माना गया। दान गृहिता को दान का पात्र कहते हैं। जब शास्त्रों की मानी जाती थी तब सुपात्र को दान देना रिकमण्डित था। नई आजादी के बाद अमेंडमेंट हुआ। अब पात्र संबित,