गांधी छाता और सावरकर

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गांधी, छाता और सावरकर!!ये घटना कम लोग जानते हैं। बात 1919 की है। गांधी पोर्टब्लेयर की सेलुलर जेल के प्रविष्ट हुए। देर तक नाखून चबाते हुए, मुलाकाती कक्ष में इंतजार करते रहे।सावरकर से मिलने की इजाजत बड़ी मुश्किल से मिली थी। यह मुलाकात बेहद गुप्त होने वाली थी। ●●उद्देश्य एक ही था। सावरकर को जेल छोड़ने के लिए राजी करना। आजादी के आंदोलन के लिए वीर को जेल से छुड़ाना बहुत जरूरी था। दरअसल गांधी को मालूम था, हिन्दू राष्ट्र बनाने का माद्दा किसी मे है तो वह दामोदर का वीर सपूत ही है। याने विनायक" दामोदर"सावरकर.. ढेंSss टेनेन। दरअसल