चिराग का ज़हर - 3

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(3) "जो दिल में आये वह कहो और समझो―" आसिफ ने कहा "मगर सच्ची बात यही है कि मामिला कुछ भी नहीं है— केवल बात का ब़तंगड़ बनाया गया है।" "हाथ कंगन को आर्सी क्या है चाचा" सुरेश ने कहा। "अभी सात बजे हैं। चार पाँच घन्टे के बाद सब कुछ सामने आ जायेगा -" इसके बाद सब लोग वहां से हट गये। रात ठराडी थी और आकाश पर प्रारम्भिक दिनों के चन्द्रमा की किरने कांपती हुई सिमिट रही थीं। अमर सिंह इत्यादि ने आज की रात को एक प्रकार से पिकनिक की रात बना लेने का निश्चय कर लिया