सबा - 19

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राजा बार- बार ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर खड़ा होता और फ़िर ध्यान से अपनी शक्ल देख कर थोड़ी देर तक घूरता रहता। फिर ऊपर से लेकर नीचे तक ख़ुद अपना मुआयना करता हुआ खुद ही झेंपता हुआ शीशे के सामने से हट जाता था। एक तरह से उसका कायापलट ही हो गया था। बोलना उसे कहीं कुछ नहीं था। वैसे भी उसे हिंदी के अलावा कोई और भाषा न बोलनी आती थी न समझ में आती थी। कल रात को फ्लाइट से टकलू के साथ यहां पहुंचने के बाद से अब वह थोड़ी देर के लिए कमरे में अकेला