शादी बैटरी की तरह है

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शादी बैटरी की तरह है!! बचपन से ही बड़ी जिग्यासा थी कि किस तरह से बैटरी पर चीज़ें चला करती थी, जैसे रेडियो हो गया, टोर्च इत्यादि इन् सभी में, एक बैटरी पॉजिटव तो दूसरी नेगेटिव।कभी समझ में नही आया फार्मूलाबचपन से जवानी में कदम रखा, बैटरी का सवाल धुंधला हो चला था।फिर कुछ हफ्ते पहले यह बैटरी फिरसे मेरे दिमाग में खेल कूद करने लगाहुआ यूं, आज से कुछ हफ्ते पहले से, मैं वातानुकूलित लोकल ट्रैन से प्रवास करने लगा, दो दिन बाद, दो दोस्तों को लगातार देखने लगा, राइटर हूँ तो लोगो के हाव भाव देखना मेरी फितरत