कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(४४)

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उधर कर्बला सेनापति बालभद्र के संग राजनर्तकी के पास चली गई और इधर महाराज गिरिराज ने वैशाली से अपने बिछौने पर बैठने के लिए संकेत करते हुए कहा... "यहाँ बैठो प्रिऐ !" और वैशाली महाराज गिरीराज से कुछ दूरी पर बैठी तो महाराज गिरिराज बोलें.... "मेरे समीप बैठो प्रिऐ! इतनी सुन्दर युवती का मुझसे दूर बैठना उचित नहीं है,मैं तो तुम्हें अपने हृदय में स्थान देना चाहता हूंँ और तुम हो कि मुझे दूर जा रही हो",महाराज गिरिराज बोले... "ऐसी बात नहीं है महाराज! मैं निर्धन आपके बिछौने पर बैठने के योग्य नहीं हूँ",वैशाली बोली... "नहीं! प्रिऐ! किसने कहा कि