हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 57

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भगवन्नाम जपमें लगाने की एक और अनोखी योजनाभगवान् से भाईजी को स्पष्ट आदेश मिला था कि जगत्का भला करना चाहते हो तो भगवन्नाम का प्रचार करो। इसका पूरा विवरण पिछले पृष्ठोंमें आ चुका है। इसके पश्चात् भाईजी ने भगवन्नाम प्रचार के लिये कितनी तरह की योजनाएँ बनाई। इसका भी कुछ विवरण दिया जा चुका है। भाईजी की अडिग आस्था थी कि भगवान् का नाम उनका अभिन्न स्वरूप तो है ही साथ ही भगवान् की ही शक्ति से वह भगवान्से भी अधिक शक्तिशाली और ऐश्वर्यवान् है। ऐसे अनेक संत हुए हैं, जिन्होंने भगवन्नाम की महिमा को हृदय से स्वीकार किया है