एक योगी की आत्मकथा - 5

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{ गंधबाबा के चमत्कारी प्रदर्शन }“इस संसार में हर वस्तु की एक विशेष ऋतु और हर काम का एक समय होता है।” ¹ अपने मन को सांत्वना देने के लिये सोलोमन ² का यह ज्ञान उस समय मुझे प्राप्त नहीं था; घर से बाहर जहाँ कहीं भी मैं घूमने जाता, मेरी आँखें अपने इर्दगिर्द मेरे लिये नियत गुरु को ढूंढती रहतीं। परन्तु मेरी हाई स्कूल की पढ़ाई पूर्ण होने तक मेरी उनसे भेंट न हो सकी। अमर के साथ हिमालय की ओर पलायन और श्रीयुक्तेश्वर जी के मेरे जीवन में आगमन के महान् दिवस के बीच दो वर्ष व्यतीत हो