कविता संग्रह

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1 बिछड़न......... जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा... ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा... तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ... के आते लम्हों में जीना भी इक सज़ा होगा... यही जगह जहाँ हम आज मिल के बैठे हैं... इसी जगह पे ख़ुदा जाने कल को क्या होगा... बिछड़ने वाले तुझे देख देख सोचता हूँ... तू फिर मिलेगा तो कितना बदल गया होगा...   2 जंजीर... किसी को पता ही नहीं जाना कहां है और कहां जा रहे हैं... "धरमा" इतनी भीड़ है शहर में खो जाने का डर लगा रहता हैइसलिए तो मैंने