इतना भी न सताओ की भूत बनकर सताना पड़े

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कभी-कभी क्या, हमेशा ही ऐसा होता है मेरे साथ। जब भी इंसान के बारे में सोचता हूँ तो गुस्से से तिलमिला उठता हूँ। कभी हँसना तो कभी रोना आता है इस इंसान पर। बड़ी-बड़ी बातें करने वाला इंसान, नैतिकता की दुहाई देने वाला इंसान, राम-कृष्ण का पुजारी, माँ शक्ति की चरणों में लेटे रहने वाला इंसान। वाह प्रभु, तू ने क्या इंसान बनाया। मुझे तो लगता है कि जब प्रभु ने सब जीवों को बना लिया होगा तो उसके बाद इंसान बनाया होगा ताकि उसकी सृजनता चरितार्थ हो सके। पर क्या उसकी सृजनता मानव के रूप में साकार हो पाई?