हांटेड एक्सप्रेस - (भाग 02)

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घड़ी पर नजर डाली तो अभी भी रात के ढाई बजे थे, इस सुनसान से स्टेशन पर रात का सन्नाटा मन को विचलित करने लगा था। आगे क्या करूँ?, यह सोच ही रहा था कि अचानक अपने कंधे पर पीछे से किसी हाथ का स्पर्श महसूस करके मैं बुरी तरह चौंक गया। पलट कर पीछे देखा तो एक सूट बूट पहने सज्जन से इंसान को खड़ा देख कर जान में जान आई, सामान्य कद काठी,सांवले रंग वाले लगभग 50 वर्ष की उम्र वाले उन महोदय का पहनावा एवं हुलिया कुछ अजीब सा था। उसने काला कोट एवं पेंट पहना हुआ,पैरो