ख़्वाबों की गुड़िया

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रात के क़रीब ढाई बज रहे थे कि मेरे फ़ोन की रोशनी ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा। वैसे तो मैं सोते वक़्त अपना फ़ोन "डो नॉट डिस्टर्ब" में रखती हूँ, पर ना जाने कैसे आज मेरे ध्यान से ये बात उतर गयी थी। फ़ोन की ओर मूडी तो देखा की उस पर एक मेसिज आया हुआ था। पहले तो काफ़ी जतन किया की उसे नज़रंदाज़ कर दु और अपने सपने की ओर बढ़ जाऊँ, मगर जाने क्यूँ मन में एक जिज्ञासा सी उठी और मेरा हाथ खुद ही फ़ोन की ओर बढ़ा। मेसिज मेरी सबसे पक्की सहेली निशा का