खेल खौफ का - 10

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अगले दिन जब मासी मां और अंकल दोनों बिजी थे मैं चुपके से रचना के पास चली गयी. मैंने आशीष को भी साथ लेने की कोशिश की मगर वो बेहद अजीब बर्ताव कर रहा था. न तो उसने मुझसे कोई बात की और न ही मेरी किसी बात का जवाब दिया. बस चुपचाप खड़े होकर मुझे एकटक देखता रहा. जैसे ही अंकल कोवालकी हमारे रूम में आये वो चुपचाप सर झुकाकर वहां से चला गया. जब मैं उस पुराने मकान में पहुंची. रचना अब भी उसी कुर्सी पर बैठी थी. "तुम ठीक हो?" मुझे देख कर मुस्कुराई. "बाकी सब कहाँ