खेल खौफ का - 7

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आधी रात को अचानक मेरी नींद खुल गयी. इस घर में आने के बाद शायद ही किसी रात को मैं शांति से सो पायी थी. खिड़की से चांदनी की रोशनी आ रही थी. मैंने खिड़की खोल दी और उनके सामने एक आराम कुर्सी लगा कर बैठ गयी और बाहर का नजारा देखने लगी. गार्डन चांदनी रोशनी में बेहद खूवसूरत लग रहा था. ठंढी हवा के साथ फूलों की भीनी भीनी खुशबू से मुझे अच्छा फील हो रहा था. मगर तभी अचानक मैंने देखा कि एक आदमी गार्डन में घुस आया. वो अकेला नहीं था. उसके साथ एक औरत भी थी