आज क्या सब्जी बनाऊं’ ?

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चलो बहना, सब्जी लायें यशवन्त कोठारी   ‘‘‘आज क्या सब्जी बनाऊं’’    इस शाश्वत सवाल का शाश्वत जवाब है।    ‘‘जो तुम चाहो।’’ बस अब इस वाक्य का अर्थ है कि महाभारत शुरू होना ही चाहता है। मैं इस महाभारत से बचने के प्रयास करता हूं। और इसी बचाव की प्रक्रिया में उन्हें सब्जी मण्डी की सैर कराने ले जाता हूं। अब कुल मिलाकर सीन ये हैं भाई साहब कि मैं अपने दुपहिया वाहन पर बैठा हूं, पीछे वे बैठी हैं, कुछ थैले, झोले, टोकरियां आगे लटक रही हैं और हम दोनों सब्जी मण्डी की ओर अग्रसर हो रहे हैं।